अमरीकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार डायबिटीज रोगियों के हार्ट अटैक का खतरा सामान्य से दो से चार गुना ज्यादा रहता है। डायबिटीज के रोगी में ह्वदय-रोगों के लक्षणों के नजर आने पर या हार्ट-अटैक की स्थिति में सर्जरी से भयभीत रहते हैं और जान को जोखिम में डालते हुए उससे बचने का प्रयास करते हैं। डायबिटीज रोगियों में सर्जरी के बाद इन्फेक्शन व अन्य जटिलताओं का खतरा ज्यादा रहता है, इस धारणा के चलते वे सर्जरी से भयभीत रहते हैं। अति-आवश्यक होने पर बाइपास सर्जरी के बजाय एंजियोप्लास्टी को तवज्जो देते हैं। क्या बायपास सर्जरी डायबिटीज रोगियों के लिए खतरनाक है, एंजियोप्लास्टी कहां तक सुरक्षित है, ऎसे कई सवालों का हल जानने के लिए हमने मुंबई के लीलावती व नानावती इत्यादि अस्पतालों से जुड़े हार्ट सर्जन डॉ. पवन कुमार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-
Q. डॉ. साहब, डायबिटीज रोगियों के लिए ह्वदय रोगों का खतरा कितना है
डायबिटीज रोगियों में सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु का कारण हार्ट-अटैक ही है। प्राइमरी स्टेज [खान-पान व लाइफस्टाइल में बदलाव से नियंत्रित किया जा सकने वाला] के डायबिटीज रोगियों में हार्ट-अटैक का खतरा 20 से 30 प्रतिशत तक होता है। सैकण्डरी स्टेज [टेबलेट्स के सेवन से नियंत्रित] के डायबिटीज रोगियों में यह खतरा लगभग 60 प्रतिशत होता है ,जबकि इंसुलिन ले रहे एडवांस स्टेज के डायबिटीज रोगियों में यह खतरा लगभग 90 प्रतिशत होता है। इन रोगियों में ज्यादातर मामलों में अटैक बिना किसी पूर्व लक्षण के आता है और जान जाने का खतरा रहता है।
Q. डायबिटीज रोगी ह्वदय रोग/हार्ट- अटैक के खतरे को किस तरह कम कर सकते हैं
डायबिटीज पर नियंत्रण रखकर ही ह्वदय रोगों के खतरे को यथासंभव कम किया जा सकता है। हमेशा अपने डायबिटोलॉजिस्ट के संपर्क में बने रहें और उसके परामर्श पर उचित कदम उठाएं। ह्वदय-रोग के लक्षणों के नजर आने पर तत्काल जरू री कदम उठाएं। दवाओं से बीमारी का इलाज संभव हो, तो उसे आजमाएं। बीमारी गंभीर हो और सर्जरी जरू री हो, तो देरी न करें।
इन्फेक्शन, घाव के सूखने में सामान्य से ज्यादा समय लगने अथवा अन्य जटिलताओं के डर से डायबिटीज रोगी सर्जरी से भयभीत रहते हैं। ऎसे में क्या उनके लिए सर्जरी उचित होगी.
अगर ह्वदय में दो या उससे अधिक ब्लॉकेज हों और हार्ट-अटैक से जान जाने का खतरा हो तो सर्जरी आवश्यक है। देखा गया है कि डायबिटीज रोगियों के रक्त में शक्कर [शुगर] की मात्रा अधिक होने के कारण ब्लॉकेज [ह्वदय-धमनी अवरोध] काफी लंबे व एडवांस स्टेज में होते हैं। ऎसे में सर्जरी से भयभीत होकर उससे बचना उपाय नहीं है। वैसे भी, सर्जरी अगर आधुनिक सुविधाओं से युक्त हॉस्पिटल में एवं अनुभवी सर्जन की देख-रेख में हो ,तो वह सामान्य ह्वदय-रोगियों जितनी ही सुरक्षित होती है।
Q. डायबिटीज रोगियों के लिए “ओपन हार्ट बाइपास सर्जरी” या एंजियोप्लास्टी में क्या सुरक्षित है।
आज से एक-डेढ़ दशक पहले तक डायबिटीज रोगियों के लिए एंजियोप्लास्टी को सुरक्षित माना जाता था। मिनिमल इनवेजिव सर्जिकल तकनीक होने के कारण इनमें चीर-फाड़ कम होती थी। परंतु अमरीकी फेडरल हेल्थ विभाग द्वारा कराए गए एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, एंजियोप्लास्टी कराए डायबिटीज रोगियों में से लगभग 35 प्रतिशत की मृत्यु सर्जरी के पांच साल के भीतर हो जाती है” जबकि बायपास कराए डायबिटीज रोगियों में इसी अवधि में मृत्यु दर 19 प्रतिशत से भी कम थी। मेरी राय में भी डायबिटीज रोगियों के लिए बायपास ज्यादा सुरक्षित है। डायबिटीज रोगियों में ह्वदय-रोग की स्थिति में ब्लॉकेज काफी ज्यादा संख्या में, लंबे और एडवांस स्थिति में होते हैं। ज्यादा धमनियों में ब्लॉकेज के कारण एंजियोप्लास्टी के दौरान ज्यादा स्टेंट डालने पड़ सकते हैं और हर स्टेंट में प्रतिवर्ष दुबारा ब्लॉकेज होने की दर 5 से 15 प्रतिशत है। यदि रक्त में शक्कर की मात्रा ज्यादा हो,तो दुबारा ब्लॉकेज की दर और भी अधिक होती है। ऎसे में एंजियोप्लास्टी के वनिस्पत बाइपास ही बेहतर विकल्प माना जाएगा, विशेष तौर पर इन दिनों अधिकाधिक प्रयोग में लाई जा रही “आर्टेरियल टाइप बाइपास सर्जरी” । लंबे समय में इस तकनीक के परिणाम बेहद प्रभावी है और डायबिटीज रोग का इन आर्टेरियल ग्राफ्ट्स पर कोई असर नहीं पड़ता।
Q. आर्टेरियल टाइप बाइपास सर्जरी के बारे में बताएंगे?
कोरोनरी बाइपास सर्जरी में हम शरीर में ही पाई जाने वाली ट्यूब्स यानी नलिकाओं को प्रयोग में लाते हैं। आज से कुछ साल पहले बाइपास ग्राफ्ट के लिए पैर में पाई जाने वाली सेफòनस वेन नामक रक्त वाहिका को प्रयोग में लाया जाता था ,परन्तु आजकल छाती में पाई जाने वाली इंटरनल मेमरी आर्टरी का प्रयोग आम हो चला है। इसे ही आर्टेरियल टाइप ऑफ बाइपास सर्जरी कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों के अनुसार, आर्टेरियल टाइप ऑफ बाइपास सर्जरी ह्वदय के लिए खतरनाक माने जाने वाले सभी कारकों के प्रभावों को नाकाम करने में सक्षम है और लंबे समय में इसके परिणाम बहुत अच्छे हैं।
डायबिटीज रोगियों को अगर बाइपास की सलाह दी जाती है ,तो उन्हें “आर्टेरियल टाइप ऑफ बाइपास सर्जरी” को प्रयोग में लाना चाहिए।
Q. क्या डायबिटीज पीडि़त ह्वदय-रोगियों के लिए एंजियोप्लास्टी की तुलना में बाइपास सर्जरी ज्यादा सुरक्षित है?
मेरे खयाल से ऎसा मानना बिल्कुल सही है। आपके फिजिशियन व सर्जन को आपके ह्वदय की दशा व आपसे विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लेना है कि आपके लिए सर्जरी की कौन-सी तकनीक ज्यादा सुरक्षित है। सिर्फ इसलिए यह मान लेना कि मरीज डायबिटीज से पीडि़त है, अत: बाइपास में जान-जोखिम का खतरा ज्यादा होगा, उचित नहीं है।
सामान्यत: बाइपास सर्जरी कराने वाले 80 प्रतिशत रोगी डायबिटीज से पीडि़त होते हैं और उनकी रिकवरी भी सामान्य ह्वदय-रोगियों जितनी ही सुरक्षित होती है, सर्जरी की सफलता दर भी लगभग समान होती है। यही नहीं, सर्जरी के बाद इनफेक्शन का खतरा भी सामान्य किस्म के ह्वदय-रोगियों को भी लगभग सामान्य ह्वदय रोगियों जितना ही समय हॉस्पिटल में रहना पड़ता है। अधिक जानकारी के लिए आप कार्डियक हेल्पलाइन 09820182000 पर संपर्क कर सकते हैं।