भुगतान नहीं हुआ तो सरपंच धरना देंगे
जिले के सैकड़ों सरपंच अपने बकाया भुगतान की मांग को लेकर 21 फरवरी से जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना देंगे। उल्लेखनीय है कि जिले में अकाल राहत कार्यों के तहत ग्राम पंचायतों द्वारा करवाए गए निर्माण कार्यों की मद में विभिन्न ग्राम पंचायतों में साढ़े पांच करोड़ रुपए बकाया हैं। इस संबंध में आज यहां हुई एक बैठक में सरपंचों ने अगले एक सप्ताह में राशि का भुगतान नहीं होने की सूरत में आंदोलनात्मक कदम उठाए जाने का निर्णय लिया है।
बैठक में करीब 200 गांवों के सरपंचों ने भाग लिया। बैठक में सभी सरपंचों ने जिला प्रशासन के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाते हुए बकाया भुगतान पर जोर दिया तथा एक मत से नौ सूत्री मांग-पत्र को अपना समर्थन दिया। बैठक को संबोधित करते हुए विधायक अमराराम ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के हितों के साथ प्रशासन को खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बकाया राशि का भुगतान नहीं करके सरकार ने हितों पर कुठाराघात किया है। उन्होंने इस संघर्ष में अपना पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। नौ सूत्री मांग-पत्र में ईएफसी व अकाल राहत कार्य के तहत करवाए गए निर्माण कार्यों का तुरंत भुगतान करने, निर्माण कार्यों में श्रम व सामग्री के अनुपात को खत्म कर व्यावहारिक बनाए जाने, जिले में मजदूर व कारीगर की दर बढ़ाकर 100 व 200 रुपए करने, सीकर में पंचायत भवन का निर्माण करवाए जाने, निर्माण कार्यों की स्वीकृति के साथ ही 40 प्रतिशत राशि अग्रिम भुगतान करने सहित विभिन्न मांगें रखी गई।
रेस्ट हाउस में आयोजित बैठक के बाद बड़ी संख्या में सरपंच जिला कले०ट्रेट पहुंचे, जहां विधायक अमराराम के नेतृत्व में मांग-पत्र की प्रति जिला कले०टर को सौंपी। इस मौके पर जिला कले०टर ने मजदूर व कारीगर की दर बढ़ाने के लिए शीघ्र समिति की बैठक बुलाने तथा अन्य योजनाओं में रुकी हुई राशि ग्राम पंचायतों को भुगतान करने की घोषणा की।
सरपंचों की प्रमुख मांग रही अकाल राहत तथा ईएफसी के तहत पैसों के भुगतान के लिए कले०टर ने एक सप्ताह का समय मांगा। सरपंच रामरतन बगडिय़ा ने बताया कि बकाया भुगतान यदि एक सप्ताह में नहीं किया गया तो आगामी 21 फरवरी से जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा।
मनसा में श्रद्धालुओं का सैलाब
श्रद्धा एवं भक्ति से परिपूर्ण नवरात्र के वातावरण में जगह-जगह श्रद्धालुओं के जत्थे मैया के नारों से क्षेत्र की पहाडिय़ों को गूंजायमान बना रहे हैं। कहीं पैदल यात्रियों का हुजूम तो कहीं अन्य दर्शनार्थियों की कतार, भक्ति एवं श्रद्धा के रंग से रंगा यह नजारा नवरात्रा स्थापना के दिन से ही प्रसिद्ध सिद्ध पीठ मनसा माता मंदिर में नजर आ रहा है।
यहां हजारों श्रद्धालुओं ने माताजी की ज्योत लेकर मनोतियां मांगी। यहां नवरात्रा स्थापना की पूर्व संध्या से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था। इस पावन पर्व पर शेखावाटी के प्रवासी सेठ-साहुकारों सहित हरियाणा, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि प्रांतों से बड़ी संख्या में भक्तगण माताजी के दर्शन करने आते हैं। कुछ श्रद्धालु कुलदेवी के जात-जडूले उतारने के लिए भी यहां आते हैं।
भक्तों का यह क्रम देर रात तक जारी रहता है। उत्साह और उमंग के बीच दर्शनों के लिए आतुर भक्त माता की जयकार के साथ मंदिर की ओर बढ़ते रहते हैं। मंदिर में कई स्वयंसेवी संस्थाओं व भक्तों की ओर से सवामणी व भंडारे आयोजित किए जाते हैं। मनसा सेवा समिति के प्रभारी सत्यपालसिंह गुड़ा व रघुवीर सिंह बताते हैं कि यहां भक्तों की सुविधा के लिए अच्छी व्यवस्था की गई है।
सब्जियों से घुलकर शरीर में पहुंच रहा है जहर
क्षेत्र में सब्जी उत्पादकों द्वारा कीटनाशक दवाइयों के माध्यम से एक मीठा जहर मानव शरीर में घोला जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्र के सब्जी उत्पादक फसलों के अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए इन कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इन दवाओं का प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है, जिसका असर आमजन व मवेशियों पर पड़ता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कृषि उत्पादक अनभिज्ञ होने के कारण इन कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करते हैं। ये लाभदायक जीवाणु पौधों में उर्वरक शक्ति के साथ रोगों से प्रतिरोध करने की क्षमता भी पैदा करते हैं। आज खेतड़ी क्षेत्र में रासायनिक दवाओं का प्रयोग खुल्लम-खुल्ला किया जा रहा है। जमीन में पैदा होने वाले लाभदायक जीवाणु इन कीटनाशक दवाओं के प्रभाव से खत्म हो रहे हैं, जिसके चलते भूमि बंजर होने की आशंका दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मनुष्यों में इसके प्रभाव से अनेक संक्रामक रोग पनप रहे हैं, साथ ही पशुधन भी इन कीटनाशकों के प्रभाव से अछूते नहीं है।
सूत्रों से पता चलता है कि कीटनाशक छिडक़ा हुआ चारा खाने से पशुओं द्वारा कम दूध देना, समय पर गर्भधारण न करना एवं मुंह संबंधी रोगों के फैलने की भी आशंका रहती है। सूत्रों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में कीटनाशक दवाएं चोरी-छुपे हरियाणा राज्य से आती है, जिसकी भनक क्षेत्र के विपणन विभाग व प्रशासन को भी नहीं है।
ये दवाएं क्षेत्र में परचून की दुकानों पर भी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। ऐसे में कई बार समाज से रूष्ट होकर व्यक्ति इन कीटनाशकों का प्रयोग कर अपनी इहलीला समाप्त कर लेता है। लोगों के अनुसार कीटनाशक दवाओं को बेचना बहुत ही संवेदनशील मामला है, परंतु क्षेत्र में इनके दिन-दहाड़े किए जा रहे प्रयोग से विभागीय अधिकारी बेखबर हैं और उससे होने वाले कुप्रभाव से आमजन के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं।