सतर्क रहें, मंदी का दौर है

मंदी के इस दौर में आपकी हर हरकत पर बॉस की नजर है। बॉस का अंदाज बदलने लगा है। कल तक जो बॉस आपको दुनिया का सबसे अच्छा आदमी लगता था, आज आपको उससे चिढ होने लगी है। आप लेट हैं, आपकी ड्रेस सही नहीं है, आप ऑफिस की स्टेशनरी घर ले जा रहे हैं, ऑफिस में नेट सफिंüग कर रहे हैं, फोन पर लंबी बातचीत करते हैं और इस तरह की कई छोटी-छोटी बातों पर बॉस को आपसे चिढ होने लगी है। यदि आपको लगता है कि बॉस कुछ ज्यादा ही पीछे पडा है, तो आप नौकरी छोडकर जा सकते हैं, आपको रोकने वाला कोई नहीं। सुपरस्टार एम्लॉई की अब पूछ घट गई है और बॉस इज राइट का फंडा फिर से जोर पकडने लगा है। आईटी इंडस्ट्रीज के लिए तो यह बात पूरी तरह सच साबित हो रही है।

आईटी की टॉप कंपनियां अपने स्टाफ घटाने के लिए इन दिनों नए-नए फंडे अपना रही हैं। वे सीधे तौर पर जॉब कट का ऎलान तो नहीं कर रहीं, पर जीरो-टॉलरेंस की व्यवस्था अपनाकर अपना हेडकाउंट घटा रही हैं। अब कंपनियां कर्मचारियों से हर मामले में सख्ती बरत रही हैं । कंपनियां अपने जॉब छोडने के तौर-तरीके और नियम-कायदों को भी आसान बना रही हैं। पहले कंपनियां काफी सख्त नियम बनाती थीं, जिससे स्टाफ नौकरी छोडने से पहले कई बार सोचें। पर अब हालत ठीक उल्टी है। कई कंपनियां प्रॉडक्टिविटी बढाने के लिए स्टाफ के वकिंüग ऑवर बढा रही हैं और इसके लिए स्टाफ एक्स्ट्रा सैलरी भी नहीं पा रहे। साल भर पहले हालात बिलकुल अलग थे। कंपनियां खूब सैलरी हाइक दे रही थीं। आईटी प्रोफेशनल्स को काउंटर ऑफर मिल रहे थे। पूरी आईटी इंडस्ट्री में टैलंट क्रंच महसूस किया जा रहा था और अच्छे एम्प्लॉई नौकरी न छोडें, इसका पूरा खयाल रखा जाता था। इस साल के शुरू में ग्लोबल इकोनॉमिक भूचाल आने की वजह से आईटी कंपनियों की हालत खस्ता हुई है। ऎसे में कंपनियां वैसे स्टाफ को रोकने की थोडी भी कोशिश नहीं कर रहीं, जो नौकरी छोडकर जा रहे हैं। ऎसे वक्त में तो नौकरी छोडने से जुडे नियमों को और आसान बनाया जा रहा है।

कुछ कंपनियां हफ्ते में 5 दिन के बजाय साढे 5 दिन काम किए जाने का फंडा अपना रही हैं। आईटी कंपनियों में स्टाफ अब उस रफ्तार से नौकरी नहीं छोड रहे जिस रफ्तार से पहले छोडते थे। आईटी इंडस्ट्री में पिछले साल एट्रिशन रेट (कर्मचारियों द्वारा नौकरी छोडे जाने का रेट) 20 से 30 परसेंट के बीच था, जो अब सिंगल डिजिट में आ गया है।

प्रोफेशनल्स अब नौकरी छोडने के बारे में कई बार सोच रहे हैं। जहां कंपनियों के सामने उनके कर्मचारियों को लम्बे समय तक रोके रखना एक बडी चुनौती साबित हो रहा था, वहीं अब कर्मचारियों के नौकरी छोडने के प्रतिशत में कमी ने कंपनियों को राहत दी है। ग्लोबल आईटी सर्विस फर्म एक्सेंचर जनवरी 2009 से वकिंüग आवर कम से कम 1 घंटा बढाने का प्लान तैयार कर रही है। इन्फोसिस अपने स्टाफ से कह चुकी है कि वे वकिंüग डे में 9.15 घंटे काम करें और कंपनी इसे लेकर सख्त भी है। इसी तरह विप्रो ने वकिंüग ऑवर 9.30 घंटे कर दिया गया है। कई अन्य कंपनियां भी अपने वर्किग ऑवर में बढोतरी का विचार कर रही हैं।

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